आपने कभी जर्नलिंग किया है? क्या आप हमेशा खुश रेहेने के लीये जर्नलिंग करना चाहते हो? अगर हा तो ये ब्लॉग आपके लीये है.
सच कहा जाये तो हमारे जीवन मे ऐसी बहोत सारी बाते होती है जिनसे हमे खुशी मेहसूस होती है लेकीन हम हमेशा उन चिजो के बारे मे सोचते है जो सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक सोच का कारण होती है.
कभी आपने सोचा है जीवन मे हम लोग हमेशा गलत चिजो के बारे मे ही जादा सोचते है जैसे... आज दोस्त ने मुझसे लडाई की, मुझे नोकरी नही मिली, मेरा जीवन कष्टो भरा है, मेरी आमदनी कम, ब्ला.. ब्ला.. ब्ला.. हम सिर्फ नकारात्मक चिजो को अपना लेते है और सामने जो अच्छी सकारात्मक चीजे होती है उन्हें दूर कर देते है जैसे... आज मेरी माँ ने मुझे चाय बनाकर दी, आज मेरे दोस्त ने मुझे ना मांगते हुए भी मदत की, आज बहोत दिनो बाद एक पुराने दोस्त का फोन आया. ऐसी बाते सुनने मे भले ही छोटी लगती है पर इसका महत्व बहोत बडा है और आज ऐसी ही छोटी छोटी चिजो के बारे मे सोचने का वक्त आया है कुछ जादा नही बस 5 मिनिट ही निकालने है
आईये जानते है किस तरह आप ग्रॅटिट्युड जर्नलिंग कर सकते है
जस्ट 5 मिनिट ग्रॅटिट्युड जर्नलिंग करने का तरिका :
1) शांत जगह चुनें: एक ऐसी शांत जगह चुने जहाँ आप बिना किसी रुकावट के बैठ सकें और शांत मन से अपना जर्नलिंग कर सके
2) एक समय तय करें: रोज़ाना एक ही समय चुनें, जैसे सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले, ताकि यह आपकी आदत बन जाए
3) शुरुआत करें: एक नोटबुक और पेन लें और 5 मिनट के लिए लिखना शुरू करें आप रोजाना 3 से 5 ऐसी चीज़ों की सूची बना सकते है जिनके लिए आप आभारी हैं। यह कुछ भी हो सकता है: कोई व्यक्ति, कोई अच्छी घटना, कोई भौतिक वस्तु, या आपकी अपनी कोई खूबी।
उदाहरण: आज बहोत दिनो बाद एक पुराने दोस्त से बात हुई, आज पापा ने मेरी पढायी मे मदत की
4) विस्तार से लिखें: केवल सूची बनाने के बजाय, हर एक चीज़ के बारे में कुछ और वाक्य लिखें।
उदाहरण: आज मुझे कॉफ़ी का जो कप मिला, उसके लिए मैं आभारी हूँ क्योंकि इसने मुझे सुबह की थकान से उबरने में मदद की और मेरा मूड अच्छा कर दिया
5) सकारात्मक महसूस करें: जो कुछ भी आपने लिखा है, उसे पढ़कर एक पल के लिए उस भावना को महसूस करें जिसके लिए आप आभारी हैं
6) अभ्यास करते रहें: निरंतरता महत्वपूर्ण है। रोज़ाना अभ्यास करते रहें, भले ही आप हर दिन कुछ अलग लिख रहे हों
निष्कर्ष :
ग्रॅटिट्युड जर्नलिंग कोई बड़ी या कठिन प्रक्रिया नहीं है — यह सिर्फ अपने जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को पहचानने और महसूस करने का एक सुंदर तरीका है। जब हम रोज़ाना कुछ मिनट निकालकर अपने आभार के भावों को लिखते हैं, तो धीरे-धीरे हमारी सोच नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर मुड़ने लगती है। जीवन में अच्छाइयाँ वैसे ही मौजूद हैं, बस ज़रूरत है उन्हें देखने की दृष्टि की।
तो चलिए, आज से ही शुरुआत करें — हर दिन सिर्फ 5 मिनट अपने लिए, अपनी खुशी के लिए, और अपने जीवन में मौजूद सुंदर पलों के लिए